Tuesday, July 21, 2015

ANNA HAZARE SHOOTS ANOTHER LETTER TO PM DATED 17 AUG 2017:TEXT

ANNA HAZARE SHOOTS ANOTHER LETTER TO PM DATED 17 AUG 2017:TEXT

प्रति,
मा. श्री. नरेंद्र मोदीजी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार,
साऊथ ब्लॉक, राईसाना हिल,
नई दिल्ली

विषयः शहीदों की विधवा एवम् सैनिकों के लिए वन रँक वन पेन्शन योजना कार्यान्वित करने
हेतु 2 अक्तूबर 2015 को रामलीला मैदान में अनशन करने के बारे में...

महोदय,

इस विषय को ले कर मैंने पहले भी दिनांक 7 जुलाई 2015 को पत्र लिखा है। लेकिन कोई जवाब नहीं आया है। चुनाव में आपने बार-बार यह आश्वासन दिया था कि, हमारी सरकार सत्ता में आने के बाद हम वन रँक वन पेन्शन योजना जल्द ही लागू करेंगे। आप की पार्टी के चुनाव अजेंडा में भी वैसा आश्वासन दिया था। लेकिन आप की सरकार को सत्ता में आ कर एक साल से ज्यादा समय बीत गया है अभी तक वन रँक वन पेन्शन योजना लागू नहीं की है।

26-2-2014, भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के सैनिक कल्याण विभाग की तरफ से रक्षा मंत्रीजी की अध्यक्षता में रक्षा सचिव, स्थल सेना, वायु सेना , जल सेना इन तीनों विभागों के उपमुख्य, सैनिक विभाग के प्रमुख अधिकारी, संबंधित मंत्रालय के संयुक्त सचिव उपस्थित थे।  इस मीटिंग में वन रँक वन पेन्शन संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये थे। लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ।

वन रँक वन पेन्शन मुद्दे को ले कर कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी और सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 16.02.2015 को निर्देश दिया था कि तीन महीनों के अंदर ‘वन रँक वन पेन्शन’ योजना लागू करने के बारे में निर्णय लिया जाए। लेकिन अभी तक निर्णय नहीं हुआ है।

वन रँक वन पेन्शन योजना लागू नहीं करने के कारण कई निवृत्त सैनिकों पर अन्याय हो रहा है। उनको बहुत कम पेन्शन में गुजारा करना पडता है। उस कारण वह जवान समाज में सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत नहीं कर पाता है। जो जवान शहीद होता है उनकी विधवा पत्नी को 3500 से ले कर 4500 रुपये तक पेन्शऩ मिलती है। जिन विधवा बहनों के एक या दो बच्चे हैं उन की शिक्षा और जीवनावश्यक जरूरतें इतनी कम पेन्शन में बढती महंगाई के कारण पूरी नहीं हो पाती हैं। इस वजह से वे विधवा बहनें सम्मान पूर्वक जीवन जी नहीं पाती हैं। कई कठिनाइयों का उन्हें सामना करना पडता है। देश की रक्षा के लिए हिमालय के लेह-लद्दाख जैसे बर्फीले प्रदेश में जवानों के रात-दिन गुजरते हैं। इन सब कष्टों के बावजूद जब वे निवृत्त होते हैं तब पेन्शऩ कम होने के कारण उन्हें मुश्किल हालात का सामना करना पडता है। जो जवान लडाई लडते समय विकलांग हुए है उनका जीवन समाधान में बीतने के लिए उनको उनकी मुल पेन्शन और बोर्ड पेन्शन दोनों मिलना चाहिए क्योंकी समाज और देश के प्रति उन का बहुत बडा त्याग है।

मैंने पहले भी पत्र में लिखा था कि, संसद में चुन कर गए हुए सांसदों को आज रेल का फर्स्ट क्लास, हवाई जहाज किराया, बिजली, फोन, आवास इतनी सारी सुविधाएं प्राप्त हैं और उपर पचास हजार रूपया तनखा भी मिलती है। लेकिन उन की मांग है एक लाख रुपया तनखा होनी चाहिए। और 30/32 साल की उम्र में जो हमारी एक बहन विधवा हो गई है उनकी पेन्शन 3500 से 4500 रुपये तक होती है। यह बात सामाजिक दृष्टि से ठीक नहीं है।

देश के किसानों का भूमि अधिग्रहण बिल को विरोध होते हुए, राज्यसभा में भी विरोध होते हुए भी सरकार द्वारा तीन बार अध्यादेश निकाला जाता है और आश्वासन दे कर भी वन रँक वन पेन्शन, विधवाओं की कम पेन्शन के बारे में सरकार का निर्णय नहीं होता है यह दुर्भाग्य की बात है। दिल्ली के जंतर मंतर पर कई दिनों से पेन्शनर जवानों का वन रँक वन पेन्शन की मांग को ले कर अनशन चल रहा है। उन की पूछताछ तक नहीं होती है। यह बात ठीक नहीं है।

देश के कई किसान संगठन और युनाईटेड फ्रंट ऑफ एक्स-सर्विसमेन, पेन्शनर जवान संगठन मेरे पास आये थे। उन्होंने जवान और विधवा बहनों की समस्याएं बताईं और इस आंदोलन में आप को भी आना चाहिए ऐसी बिनती की।  मैं भी एक पेन्शनर जवान होने के कारण मैंने तय किया है कि वन रँक वन पेन्शन, तथा शहीदों की विधवा बहनों की समस्याओं का निवारण हो इस लिए इस आंदोलन में मुझे सहभागी होना है।

26 जुलाई 2015 को नई दिल्ली में जंतर मंतर पर कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। उस में शहीदों की विधवा बहनों का सम्मान होगा और स्व. लालबहादुर शास्त्रीजी (देश के पूर्व प्रधानमंत्री ) जिन्होंने देशवासियों को नारा दिया था “जय जवान जय किसान”। जवान और किसानों की समस्याओं का हल हो इस लिए देश के हर राज्य में लोकशिक्षा, लोकजागृति और लोकसंगठन के लिए रैलियां निकाली जायेंगी। कौन से राज्यों में कौन सी तारीख को रैलियां होंगी इसका स्पष्टीकरण उसी दिन 26 जुलाई 2015 को जंतर मंतर पर किया जायेगा।

अगस्त-सितंबर इन दो महीनों में हर राज्य में रैलियां होंगी। उन रैलियों में आगे के रामलीला मैदान आंदोलन की दिशा तय होगी। 2 अक्तूबर 2015 महात्मा गांधीजी और ‘जय जवान जय किसान’ इस नारे के जनक स्व. लालबहादूर शास्त्रीजी इन दोनों महापुरूषों के जन्म दिवस के अवसर पर दिल्ली के रामलीला मैदान में मेरा अनशन होगा। उस में जिन को लगता है कि ये मांगें सही हैं, वह देश के सभी पेन्शनर जवान और जवानों की विधवा बहनें इस आंदोलन में शामिल होंगी। जबतक मांगें पूरी नहीं होती, तब तक अनिश्चित समय के लिए यह आंदोलन चलता रहेगा।

जो पेन्शनर जवान रामलीला मैदान में नहीं आ सकते हैं उन्होंने अपने-अपने राज्यों में तहसिल, जिला में आंदोलन करना है। जब जवानों का आंदोलन होगा उस वक्त किसानों ने उनका समर्थन करना है। भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों का आंदोलन होगा उस वक्त जवानों ने उनका समर्थन करना है। जय जवान जय किसान!

देश में ‘जय जवान जय किसान आंदोलन’ शांति और अहिंसा के मार्ग से होगा। कहीं पर भी हिंसा कदापि नहीं होगी।

आंदोलन किसी भी पक्ष-पार्टी, व्यक्ति के विरोध में नहीं होगा। ‘जय जवान जय किसान’ का अपना हक मांगने के लिए आंदोलन होगा। 

राज्यों में जो रैलियां होंगी या रामलीला मैदान में 2 अक्तूबर 2015 का आंदोलन होगा उस में किसी पक्ष-पार्टी का झंडा नहीं होगा। मंच पर कोई भी पक्ष-पार्टी के नेता नहीं होंगे। सिर्फ जवान और किसान का यह आंदोलन होगा।

वन रँक वन पेन्शन, जवानों के विधवाओं को पूरी पेन्शन मिले, जिन को पेन्शन कम मिलती है उन जवानों को अभी नई पेन्शन श्रेणी के मुताबिक पेन्शन मिले, महंगाई दिन-ब-दिन बढती जा रही है। जीवनावश्यक जरूरत की चीजें पूराने कम पेन्शनवाले और नई पेन्शनवाले दोनों को खरीदनी पडती हैं। मैंने जवान और किसानों के प्रश्न पर पेन्शन, तथा भूमि अधिग्रहण बिल के विषय में सरकार को पहले भी पत्र लिखे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है, विवश हो कर आंदोलन करना पड रहा है। देश में जवानों के अलग-अलग संघटन है। उसी प्रकार किसानों का भी अलग-अलग संघटन है। इस में कई संगठन ऐसे भी है कि तु बडा की मै बडा मतभेद के कारण सही सफलता नही मिलती है। कई संगठन पैसा जुटाती है लेकिन पैसों के हिसाब में पारदर्शिता नही होती है। इस कारण भी मतभेद होते है। जवान और किसानों का प्रश्न छुडाना है तो सभी संगठन के कार्यकर्ताओंने संघटीत होना है तब प्रश्न छुट जाएगा।
मैंने पहले जीवन में किया इस लिए बता रहा हूँ। जीवन में करोंडो रुपयों की योजनाएं अपनाई है लेकिन बँक बॅलन्स नही रखा। देश विदेश से  मुझे करोड रुपयों से जादा कॅश अवार्ड मिले है उन पैसों का भी पब्लिक टॅस्ट बनाया हुआ है। साल में साडेगॅरह से बारा लाख रुपया ब्याज का आता है वह जनसेवा के लिए खर्चा करता हूँ। आज सिर्फ सोने का बिस्तर और खाने का प्लेट के अलावा कुछ नही रखा है। मंदीर में रहता हूँ। लेकिन करोडपती को जो आनंद नही मिलता होगा वह आनंद मै अनुभव करता हूँ।

अन्ना हजारे की नकल सभी ने करनी यह अपेक्षा नही है लेकिन जवाना और किसानों के भलाई के लिए कार्य करनेवाले संगठन सेवा का आदर्श निर्माण करें। जय जवान जय किसान आंदोलन मे शामिल होनेवाले सभी संगठनों ने अपने आर्थिक व्यवहार के साथ सभी व्यवहार पारदर्शी रखने चाहिए।

धन्यवाद।

भवदीय,

कि. बा. तथा अण्णा हजारे. 

(SOURCE- SANJHA MORCHA BLOG)

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